Thursday, June 26, 2025

एलडीए की 'फर्जी शिकायत गिरोह' सूची पर खुलासा: असल में शिकायतें थीं सही, अवैध निर्माण को बचाने के लिए फैलाई गई थी गलत जानकारी.

 

एलडीए की 'फर्जी शिकायत गिरोह' सूची पर खुलासा: असल में शिकायतें थीं सही, अवैध निर्माण को बचाने के लिए फैलाई गई थी गलत जानकारी.

 


मुख्य बिंदु

  • एलडीए ने 28 शिकायतकर्ताओं को 'फर्जी शिकायत गिरोह' बताकर सूची जारी की, जबकि जनसुनवाई निस्तारण रिपोर्ट में स्वीकार किया कि शिकायतें फर्जी नहीं थीं।
  • शिकायतकर्ता आरटीआई कार्यकर्ता और समाजसेविका उर्वशी शर्मा ने उच्च स्तरीय जांच की मांग की, लेकिन एलडीए ने इससे बचाव किया।
  • एलडीए की कार्रवाई अवैध निर्माण सिंडिकेट को बचाने और असली शिकायतकर्ताओं को डराने का प्रयास प्रतीत होती है।
  • उपलब्ध तथ्यों के आधार पर 28 शिकायतकर्ताओं को क्लीन चिट मिलती है।

 


लखनऊ / शुक्रवार / 27 जून 2025 ............

लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) द्वारा हाल ही में 28 शिकायतकर्ताओं की 'फर्जी शिकायत गिरोह' के नाम से जारी सूची पर अब बड़ा खुलासा हुआ है। एलडीए ने खुद अपनी निस्तारण रिपोर्ट में स्वीकार किया है कि इन 28 लोगों द्वारा की गई शिकायतें फर्जी नहीं थीं, बल्कि आईजीआरएस पोर्टल पर दर्ज शिकायतों का संज्ञान लेकर नियमानुसार कार्रवाई की गई थी और की जाती है । इससे साफ है कि एलडीए ने अवैध निर्माण को बचाने और शिकायतकर्ताओं को बदनाम करने के लिए एकतरफा और भ्रामक सूची तैयार की थी।

 


शिकायतकर्ताओं को बदनाम करने की साजिश

आरटीआई कार्यकर्ता और समाजसेविका उर्वशी शर्मा सहित 28 लोगों को एलडीए ने 'आदतन शिकायतकर्ता' करार देकर उन पर फर्जीवाड़े और ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाया था। एलडीए ने यह भी दावा किया था कि इन लोगों ने 17 महीनों में 2114 शिकायतें कीं, जिनमें से अधिकांश निराधार थीं। लेकिन निस्तारण रिपोर्ट में एलडीए ने यह नहीं कहा कि शिकायतें फर्जी थीं, बल्कि केवल यह उल्लेख किया कि आईजीआरएस की शिकायतों पर नियमानुसार कार्रवाई की गई तथा की जाती है और जहां नियमों का उल्लंघन पाया गया, वहां नियमानुसार कार्रवाई प्रस्तावित की गई तथा की जाती है ।

 


उच्च स्तरीय जांच से क्यों बच रहा है एलडीए?

शिकायतकर्ता उर्वशी शर्मा ने मांग की थी कि इस पूरे मामले की जांच सीबीआई या हाईकोर्ट के जज की अध्यक्षता में हो, ताकि निष्पक्षता बनी रहे। लेकिन एलडीए ने न तो इस जांच की संस्तुति की और न ही किसी स्वतंत्र एजेंसी को मामले में शामिल किया। इससे यह सवाल उठता है कि क्या एलडीए अवैध निर्माण कराने वाले सिंडिकेट को बचाने के लिए उच्च स्तरीय जांच से बच रहा है?

 


शिकायतकर्ताओं को क्लीन चिट

एलडीए की निस्तारण रिपोर्ट और शिकायतकर्ताओं के पक्ष में उपलब्ध तथ्यों के आधार पर स्पष्ट है कि 28 शिकायतकर्ताओं द्वारा की गई शिकायतें फर्जी नहीं थीं। एलडीए ने खुद माना कि आईजीआरएस पर प्राप्त शिकायतों पर नियमानुसार जांच और कार्रवाई की गई और की जाती है । ऐसे में शिकायतकर्ताओं को बदनाम करने की कोशिश न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों के मनोबल को भी गिराने वाली है।

 


निष्कर्ष:
एलडीए द्वारा तैयार की गई 'फर्जी शिकायत गिरोह' की सूची स्वयं उसकी जनसुनवाई निस्तारण रिपोर्ट में ही खारिज हो गई है। इससे स्पष्ट है कि सूची जारी करने का असली मकसद अवैध निर्माण को बचाना और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को दबाना था। अब जरूरत है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच हो, ताकि सच्चाई सामने आ सके और असली दोषियों पर कार्रवाई हो।

 

उर्वशी शर्मा से मोबाइल नंबर 6391101234 और ई-मेल urvashisharmarti@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है

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