लखनऊ / रविवार, 31 जुलाई 2022 ……………………………
भारत सरकार में आरटीआई मामलों के नोडल विभाग, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ( DOPT) और यूपी के राज्य सूचना आयोग ( UPIC ) के बाद अब भारत के केन्द्रीय सूचना आयोग ( CIC ) ने भी लखनऊ निवासी नामचीन समाजसेविका और तेजतर्रार आरटीआई एक्टिविस्ट की एक आरटीआई अर्जी के जवाब में लिखकर कह दिया है कि देश में आरटीआई एक्ट लागू होने से अब तक की साढे सोलह वर्ष से अधिक की अवधि में इस कानून के दुरुपयोग की कोई भी सूचना उनके रिकार्डों में नहीं है.
दरअसल उर्वशी ने बीती 11 जुलाई को केन्द्रीय सूचना आयोग में भी एक आरटीआई अर्जी दी थी और भारत में सूचना कानून लागू होने से अब तक की अवधि में आरटीआई आवेदकों द्वारा सूचना कानून का दुरुपयोग किये जाने के विषय पर 6 बिन्दुओं की सूचना केन्द्रीय सूचना आयोग के रिकॉर्ड के आधार पर मांगी थी. उर्वशी ने जानना चाहा था कि अन्य लोगों को ब्लैकमेल करने,अन्य लोगों से धन उगाही करने,अन्य लोगों को मानसिक आदि रूप से परेशान करने के लिए आरटीआई कानून का दुरुपयोग करने के मामलों की संख्या उन्हें बताई जाए.सूचना कानून के दुरुपयोग की यदि कोई विशिष्ट जानकारी हो तो उसको जानने के साथ-साथ सूचना कानून के दुरुपयोग पर केन्द्रीय सूचना आयोग द्वारा की गई दंडात्मक कार्यवाही और भविष्य में दुरुपयोग रोकने के लिए केन्द्रीय सूचना आयोग द्वारा की गई कार्यवाहियों की सूचना भी उर्वशी ने मांगी थी.इनके जवाब में केन्द्रीय सूचना आयोग के आरटीआई सेल के केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी सुबोध कुमार ने बीती 26 जुलाई को उर्वशी को लिखकर बताया है कि उनकी आरटीआई अर्जी के सभी 6 बिन्दुओं पर मांगी गई सूचना के सम्बन्ध में केन्द्रीय सूचना आयोग में कोई भी रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है.
बताते चलें कि इससे पहले उर्वशी की आरटीआई अर्जियों के जवाबों में भारत सरकार का कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग तथा उत्तर प्रदेश का राज्य सूचना आयोग भी उर्वशी को लिखकर दे चुका है कि उनके पास सूचना कानून के किसी भी किस्म के कोई भी दुरुपयोग के सम्बन्ध में कोई भी जानकारी नहीं है.
लम्बे समय से आरटीआई के क्षेत्र में काम कर रही उर्वशी कहती हैं कि कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग भारत सरकार में आरटीआई मामलों का नोडल विभाग है, भारत का केन्द्रीय सूचना आयोग केन्द्र सरकार और यूनियन टेरीटरियों के आरटीआई मामलों की सर्वोच्च स्वायत्त संस्था है और यूपी का राज्य सूचना आयोग आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े सूबे के आरटीआई मामलों की सर्वोच्च स्वायत्त संस्था है और इन तीनों का एक सुर में यह कहना कि इनके पास सूचना कानून के दुरुपयोग की कोई भी जानकारी नहीं है, रिकॉर्ड के आधार पर सीधे-सीधे यह प्रमाणित कर रहा है कि आरटीआई एक्ट का दुरुपयोग होने की बातें महज़ सफेद झूंठ का पुलिंदा मात्र हैं.
उर्वशी ने बताया है कि सूचना कानून को कमजोर करने की मंशा से सूचना कानून के दुरुपयोग की झूंठी बातें परोसने वालों को बेनकाब करने के लिए शुरू की गई उनकी इस मुहिम में भारत के सभी प्रान्तों के आरटीआई एक्टिविस्ट जुड़ रहे हैं जो अपने अपने राज्यों के सूचना आयोगों और आरटीआई के नोडल विभागों से इसी प्रकार की सूचनाएं मांगकर आपस में साझा करेंगे सूचना कानून के दुरुपयोग की झूंठी बातें करने वालों के खिलाफ रिकॉर्ड के आधार पर प्रशासनिक और कानूनी कार्यवाही करायेंगे.
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