लागू होने से अब तक आरटीआई एक्ट के दुरुपयोग की कोई जानकारी नहीं : भारत सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा को दिया जवाब.
लखनऊ / बुधवार, 27 जुलाई 2022 ……………………………
देश में पारदर्शिता युक्त शासन व्यवस्था एवं भ्रष्टाचार मुक्त समाज बनाने के लिए 12 मई 2005 को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 ( आरटीआई कानून ) संसद में पारित किया गया जिसे 15 जून 2005 को राष्ट्रपति की अनुमति मिली और अन्ततः 12 अक्टूबर 2005 को यह कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू किया गया. तब से अब तक की साढे सोलह वर्ष से अधिक की अवधि में जन सूचना अधिकारियों, प्रथम अपीलीय अधिकारियों, सूचना आयुक्तों के साथ-साथ मांगी गई सूचना से प्रभावित पक्षों के द्वारा इस सूचना कानून के दुरुपयोग की बातें आये दिन कही जाती रही हैं लेकिन लखनऊ निवासी नामचीन समाजसेविका और तेजतर्रार आरटीआई एक्टिविस्ट द्वारा बीती 11 जुलाई को भारत सरकार में आरटीआई के मामलों के नोडल विभाग, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ( डीओपीटी ) में दायर की गई एक आरटीआई अर्जी पर डीओपीटी के केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी (सीपीआइओ )और अनु सचिव ( आईआर.2 ) पवन कुमार द्वारा बीती 15 जुलाई को दिए गए जवाब से अब यह बात सामने आ गई है कि देश में आरटीआई एक्ट लागू होने से अब तक की साढे सोलह वर्ष की अवधि में इस एक्ट के दुरुपयोग की कोई भी सूचना भारत सरकार के रिकार्डों में नहीं है.
बताते चलें कि उर्वशी ने भारत में सूचना कानून लागू होने से अब तक की अवधि में आरटीआई आवेदकों द्वारा सूचना कानून का दुरुपयोग किये जाने के विषय पर 6 बिन्दुओं की सूचना भारत सरकार के डीओपीटी के रिकॉर्ड के आधार पर मांगी थी. उर्वशी ने जानना चाहा था कि अन्य लोगों को ब्लैकमेल करने,अन्य लोगों से धन उगाही करने,अन्य लोगों को मानसिक आदि रूप से परेशान करने के लिए आरटीआई कानून का दुरुपयोग करने के मामलों की संख्या उन्हें बताई जाए.सूचना कानून के दुरुपयोग की यदि कोई विशिष्ट जानकारी हो तो उसको जानने के साथ-साथ सूचना कानून के दुरुपयोग पर भारत सरकार द्वारा की गई दंडात्मक कार्यवाही और भविष्य में दुरुपयोग रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा की गई कार्यवाहियों की सूचना भी उर्वशी ने मांगी थी.इनके जवाब में पवन ने उर्वशी को बताया है कि उनकी आरटीआई अर्जी के बिंदु संख्या 1 से 6 द्वारा मांगी गई सूचना जवाब देही सीपीआइओ के पास उपलब्ध नहीं है.
लम्बे समय से आरटीआई कानून का प्रचार प्रसार करने के साथ-साथ इस कानून का प्रयोग जनहित में करने वाली और डीओपीटी से आरटीआई के लिए ‘A’ ग्रेड सर्टिफाइड आरटीआई विशेषज्ञ उर्वशी शर्मा का कहना है सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के दुरुपयोग से बचने के लिए आरटीआई कानून में पहले से ही व्यवस्था दी गई है. उर्वशी कहती हैं आरटीआई के तहत जानकारी मांगने का अधिकार निरंकुश नहीं है क्योंकि दुरुपयोग से बचने के लिए आरटीआई एक्ट में धारा 8 है जो कि कुछ सूचनाओं का खुलासा करने से छूट प्रदान करता है;धारा 9 है जो कि कुछ मामलों में सूचना नहीं देने का आधार है; धारा-11 के तहत थर्ड पार्टी से संबंधित जानकारी नहीं दी जा सकती और धारा 24 के मुताबिक ये कानून कुछ संगठनों पर पूरी तरह से लागू नहीं होता है.
उर्वशी कहती हैं कि यह आरटीआई खुलासा देश के करोड़ों आरटीआई प्रयोगकर्ताओं की तरफ से ऐसे सभी लोगों के लिए करारा जवाब है जो मौखिक रूप से कहते हैं कि लोग आरटीआई कानून का दुरुपयोग करते हैं और अन्य लोगों को परेशान करने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं.
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नोट : सम्बंधित आरटीआई अर्जी और आरटीआई का जवाब वेबलिंक https://upcpri.blogspot.com/2022/07/blog-post_26.html से निःशुल्क डाउनलोड करके निःशुल्क प्रयोग किया जा सकता है.
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