लखनऊ/17 जुलाई 2021…………..
आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त प्रमोद कुमार तिवारी ने अपने एक ऐतिहासिक आदेश से ‘शिक्षा का अधिकार कानून’ के दायरे के प्रदेश के लाखों निजी विद्यालयों को ‘सूचना का अधिकार कानून’ के दायरे में लाकर सूबे के करोड़ों अभिभावकों को निजी विद्यालयों की मनमानी पर लगाम लगाने और अपने नौनिहालों के अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए एक मजबूत कानूनी सुरक्षा देने का लोक-कल्याणकारी कार्य करके राज्य सूचना आयोग की स्थापना के उद्देश्य को एक बार फिर से स्थापित किया है.
2 बार राष्ट्रपति पदक से सम्मानित और यूपी के राज्यपाल के परिसहायक के रूप में सेवाएं दे चुके अखिल भारतीय सेवाओं के आई.पी.एस. अधिकारी रहे प्रमोद कुमार तिवारी भारतीय सेना में लेफ्टीनेंट के रूप में उग्रवाद के खिलाफ सराहनीय योगदान के लिए सामान्य सेवा मैडल से भी सम्मानित रहे हैं. यूपी के जौनपुर के सिकरारा ब्लाक के ग्राम शाहपुर में जन्मे प्रमोद कुमार तिवारी इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक हैं.आतंरिक सुरक्षा के विशेषज्ञ रहे और 32 वर्ष की सफल और सराहनीय पुलिस सेवा में आधा दर्जन प्रशिक्षण कार्यक्रमों के बाद महानिदेशक पद तक पंहुचे प्रमोद कुमार तिवारी ने 26 फरवरी 2019 को सूचना आयुक्त पद की शपथ ली थी.
दरअसल राजधानी लखनऊ के राजाजीपुरम निवासी सक्रिय आरटीआई कार्यकर्ता इंजीनियर संजय शर्मा ने लखनऊ निवासी नामी-गिरामी शिक्षाविद जगदीश गांधी के सिटी मोंटेसरी स्कूल समूह की सभी शाखाओं तथा राजाजीपुरम स्थित सेंट एन्जनीज पब्लिक स्कूल के सम्बन्ध में मुख्य सचिव कार्यालय से सूचनाएं माँगी थीं और सूचनाएं न मिलने पर आयोग में शिकायत की थी. आयोग में सुनवाई के दौरान सिटी मोंटेसरी स्कूल समूह की ओर से फाउंडर मेनेजर जगदीश गांधी उपस्थित हुए और सेंट एन्जनीज पब्लिक स्कूल के प्रतिनिधि भी उपस्थित हुए और उन्होंने सूचना नहीं दिए जाने के पक्ष में अपने प्रत्यावेदन दिए. संजय शर्मा की तरफ से उनके प्रतिनिधि अधिवक्ता ए. के. चतुर्वेदी ने पक्ष रखा. सूचना आयुक्त प्रमोद कुमार तिवारी ने सभी पक्षों को सुनने के बाद बीती 23 फरवरी को इस मामले में आदेश सुरक्षित किया गया था जिसे बीती 14 जुलाई को खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया.
सूचना आयुक्त प्रमोद कुमार तिवारी ने सूचना का अधिकार कानून की धारा 19(8)(क)(दो) एवं 25(5) के तहत राज्य सूचना आयोग के कार्यक्षेत्र के अंतर्गत स्थित प्रत्येक ऐसे विद्यालयों जो कि ‘निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009’ से आच्छादित है, में 14 जुलाई 2021 के आगे तीन माह के अन्दर प्रत्येक विद्यालय में जन सूचना अधिकारी नियुक्त करने की अपेक्षा की है और यूपी के मुख्य सचिव को निर्देश जारी किये हैं कि वे कार्यकारी आदेश जारी करके इस आदेश का अनुपालन करायें.
देश भर के आरटीआई कार्यकर्ताओं ने प्रमोद कुमार तिवारी के इस आदेश को क्रांतिकारी आदेश बताते हुए हर्ष व्यक्त किया है तो वहीं इस आदेश ने सूबे के करोड़ों अभिभावकों के मन में नई उम्मीदों को जन्म दिया है.
देश की शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के लिए पिछले 7 वर्षों से कार्य कर रहे समाजसेवी इंजीनियर संजय शर्मा ने एक विशेष बात-चीत में बताया कि वे इस आदेश को केन्द्रीय सूचना आयोग के साथ-साथ देश के अन्य सभी राज्य के सूचना आयोगों को भेजकर अपील करेंगे कि वे सभी भी इस तर्ज पर आदेश जारी करके देश भर के सभी निजी विद्यालयों को ‘सूचना का अधिकार कानून’ के दायरे में लाकर नौनिहालों के विद्या मंदिरों में पारदर्शिता स्थापित कराकर शिक्षा माफियाओं पर लगाम लगाने में सहायक बनें.
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