Sunday, June 13, 2021

यूपी : क्या पुलिस कर्मियों के दम पर अपनी पत्नी नूतन ठाकुर से मजलूमों,कमजोरों की जमीनों पर अनधिकृत कब्ज़ा करवाते थे पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ?


 

लखनऊ/14 जून 2021…………………………

क्या बिहार मूल के और यूपी कैडर के पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर पुलिस कर्मियों के दम पर अपनी पत्नी नूतन ठाकुर से मजलूमों,कमजोरों की जमीनों पर अनधिकृत कब्ज़ा करवाते थे? यह सबाल लम्बे समय से इसलिए जस का तस खड़ा है क्योंकि लखनऊ के गणेशगंज निवासी राजीव कुमार बाजपेई ने साल 2015 में ऐसा आरोप तथाकथित समाजसेवी और आरटीआई एक्टिविस्ट अमिताभ ठाकुर और नूतन ठाकुर पर लगाया था जिसे सही पाते हुए तत्कालीन लोकायुक्त ने अपनी अनुशंषा शासन को भेजी थी जिस पर सीबीआई आदि एजेंसियों से जांच और अग्रेत्तर कार्यवाही अभी लंबित है. यह सबाल इसलिए भी खडा है क्योंकि लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ यानि कि हमारे देश का मूर्धन्य मीडिया इस सबाल पर चुप्पी साधे हुए है और राजीव कुमार बाजपेई जैसे अनगिनत मजलूमों,कमजोरों को उनकी जमीनें दिलवाने की न्यायसंगत दिशा में सक्रिय होने के स्थान पर कतिपय निहित स्वार्थों में लिप्त होकर नूतन और अमिताभ को समाजसेवी और आरटीआई एक्टिविस्ट के रूप में महिमामंडित कर कथित रूप से कब्जाई जमीनों पर नूतन और अमिताभ का दावा पुख्ता कराने में तत्पर है.

 




 

मीडिया से उम्मीद है कि वह अपने सोये जमीर को जगाकर अमिताभ और नूतन से प्रताड़ित राजीव कुमार बाजपेई जैसे अनगिनत मजलूमों,कमजोरों की खोज करके उनको न्याय दिलाने की दिशा में अपनी सक्रिय भूमिका निभाएगी. मीडिया को यह भी सोचना चाहिए कि कोई मध्यमवर्गीय व्यक्ति अपने जीवन में बहुत मुश्किल से पैसा इकठ्ठा करके एक प्लाट खरीद पाता है और अगर उस मध्यमवर्गीय व्यक्ति का प्लाट किसी  आईपीएस की पत्नी की प्लाट इकट्ठे करने की हवस की भेंट चढ़ जाए तो उस उस मध्यमवर्गीय व्यक्ति पर क्या बीतेगी ? मीडियाजन पहले अपने  आप को उस मध्यमवर्गीय व्यक्ति की जगह पर रखकर सोचें जिसके प्लाट पर किसी आईपीएस ने पुलिस के मार्फत अवैध कब्ज़ा कराकर  उसे बेदखल कर दिया हो और फिर भी यदि उनकी अंतरात्मा अनुमति दे तो वे रोज नूतन और अमिताभ को समाजसेवी और आरटीआई एक्टिविस्ट के रूप में महिमामंडित करें पर अगर उनकी अंतरात्मा अनुमति नहीं दे तो सांसारिक स्वार्थों के वशीभूत होकर  नूतन और अमिताभ को समाजसेवी और आरटीआई एक्टिविस्ट के रूप में महिमामंडित करना बंद करें क्योंकि सच्चे समाजसेवी और आरटीआई एक्टिविस्ट दूसरों के प्लाट कब्जाने के बाद  मामलों को सिविल मैटर नहीं बताते हैं बल्कि राजीव कुमार बाजपेई जैसे मजलूमों,कमजोरों को उनकी जमीनें बापस कर देते हैं.

 

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