लखनऊ/09 अप्रैल
2021……………….
पिछले महीने
जबरिया रिटायर किये गए यूपी कैडर के 1992 बैच के आईपीएस ( ID Number 19921024
) अधिकारी अमिताभ ठाकुर द्वारा सरकारी पद और सरकारी मशीनरी का
दुरुपयोग करने के मामलों को गंभीरता से लेते हुए केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने साल
2019 के 07 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर शिकायतकर्ता आरटीआई
एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा की शिकायत को उचित कार्यवाही के लिए उत्तर प्रदेश सरकार
को भेजा था और मुख्य सचिव से उर्वशी की शिकायत पर कमेंट्स मांगे थे.
इस बात का
खुलासा उर्वशी द्वारा दायर की गई आरटीआई अर्जी पर भारत सरकार के गृह मंत्रालय के
केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी एवं निदेशक ( पुलिस ) ए. के. सरन द्वारा बीती 19
मार्च को भेजी गई सूचना से हुआ है.
बताते चलें कि
लखनऊ स्थित नामचीन और तेजतर्रार समाजसेविका उर्वशी शर्मा ने साल 2019 के 02 अगस्त
को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के तत्कालीन प्रमुख सचिव नृपेन्द्र
मिश्र के मार्फत अमिताभ ठाकुर के खिलाफ शिकायत भेजी थी जिसमें उर्वशी ने आरोप
लगाया था कि कई वर्षों से उच्च पद और सरकारी संसाधनों का लगातार दुरुपयोग करके निजी
लाभ के लिए पेशेवर रूप से आरटीआई,मुकदमेबाजी और मीडियाबाजी करने के कारण अमिताभ
ठाकुर राजकोष पर बोझ बन चुके थे और इस कदाचरण के लिए अमिताभ ठाकुर को जबरन सेवानिवृत्ति
योजना के तहत सेवाच्युत करने की मांग की थी. इसी शिकायत पर भारत सरकार के गृह
मंत्रालय ने जांच कराई थी.
उर्वशी ने आरोप
लगाया था कि अमिताभ ठाकुर सरकारी संसाधनों ( सरकारी स्टेशनरी, मातहत कर्मचारियों की
सेवाएं, सरकारी वाहन, कार्यालय समय आदि ) का दुरुपयोग पेशेवर
रूप से आरटीआई,मुकदमेबाजी और मीडियाबाजी करने के लिए कर रहे थे. अमिताभ अपनी पत्नी
नूतन ठाकुर की आरटीआई,मुकदमेबाजी और मीडियाबाजी करने के लिए भी सरकारी संसाधनों का
जमकर दुरुपयोग कर रहे थे और इस प्रकार अमिताभ राजकोष पर बोझ बन चुके थे.अमिताभ ठाकुर द्वारा कई
वर्षों से अपने आईपीएस पद का विशेष उल्लेख कराते हुए अपनी पत्नी श्रीमती नूतन
ठाकुर के माध्यम से भारी मात्रा में पत्राचार,मुकदमेबाजी, आरटीआई इत्यादि कराया जा
रहा था और आपराधिक इतिहास रखने वाले कई अन्य व्यक्तियों के साथ गैंग बनाकर आमजनमानस
को भयाक्रांत करके उनसे धनउगाही आदि करने का गैरकानूनी काम तो किया ही जा रहा था साथ
ही साथ और अपने खिलाफ चल रही जांचों में मनमाफिक परिणाम पाने के लिए जांच
अधिकारियों को आरटीआई,मुकदमेबाजी और मीडियाबाजी के माध्यम से
ब्लैकमेल करके मनमाफिक जांच कराने के आपराधिक कृत्य भी किये जा रहे थे. उर्वशी ने
आरोप लगाया था कि अमिताभ के यह कृत्य गंभीर कदाचार की श्रेणी के आपराधिक कृत्य थे अतः
यह आवश्यक हो गया था कि प्रकरण में उच्चस्तरीय निष्पक्ष जांच कराकर यूपी कैडर के कदाचारी
IPS अधिकारी अमिताभ ठाकुर को जबरन सेवानिवृत्ति योजना के तहत
सेवाच्युत करने की नियमपूर्ण कार्यवाही करके राजकोष को निरंतर हो रही क्षति को
रोका जाए l
अपनी शिकायत के
समर्थन में उर्वशी ने जिला न्यायालय लखनऊ में अमिताभ ठाकुर के नाम से साल 2015 में
7, 2016 में 11,साल 2017 में 8,साल
2018 में 7,और साल 2019 में तब तक 10 निजी आपराधिक मुक़दमे होने
और उच्चधिकारियों को ब्लैकमेल करके निरंकुश हो चुके अमिताभ ठाकुर द्वारा इन
मुकदमों की पैरवी के लिए बिना अवकाश लिए कार्यालय समय में अदालत जाने की बात भी
अपनी शिकायत में लिखी थी. उर्वशी ने अमिताभ ठाकुर द्वारा साल 2016 से
साल 2019 की तब तक की अवधि में 368 निजी आरटीआई मामले उत्तर प्रदेश राज्य
सूचना आयोग में दर्ज कराने और इन RTI मामलों की पैरवी के लिए
बिना अवकाश लिए कार्यालय समय में यूपी सूचना आयोग जाने की बात भी अपनी शिकायत में
लिखी थी. उर्वशी ने अपनी शिकायत में लिखा था कि अमिताभ ठाकुर द्वारा उच्च न्यायालय
इलाहाबाद लखनऊ खंडपीठ में इतने अधिक मुक़दमे दर्ज किये गए थे कि न्यायालय ने याचिका संख्या 13435/MB/2019 के निस्तारण आदेश दिनांक 10-05-2019 में अमिताभ द्वारा की जा रही
वेबजह की मुकदमेबाजी का संज्ञान लेकर न केवल पूर्व में माननीय उच्च न्यायालय
द्वारा अमिताभ की मुकदमेबाजी को लेकर की गई कड़ी प्रतिकूल टिप्पणी का उल्लेख किया बल्कि
अमिताभ को सुधर जाने की नसीहत भी दी. उर्वशी ने आरोप लगाया था कि अमिताभ ठाकुर
इतनी अधिक वेबजह की मुकदमेबाजी महज इसलिए कर पाते थे क्योंकि ये अपने इन निजी
कामों को सरकारी समय में,सरकारी संसाधनों से और अपने मातहत
लोकसेवकों से कराते थे जिस पर लगाम लगाए जाने की स्थाई व्यवस्था किया जाना समय की
मांग थी. उर्वशी ने अपनी शिकायत के साथ 53 पेज के प्रमाण भी संलग्न किये थे.
पारदर्शिता,जबाबदेही
और मानवाधिकार संरक्षण के क्षेत्र में जमीनी स्तर पर काम कर रही सोशल एक्टिविस्ट
उर्वशी ने अमिताभ को जबरन सेवानिवृत्ति देकर राजकोष में हो रही सेंधमारी को रोकने
का जनहित का नियमानुकूल निर्णय लेने के लिए देश के प्रधानमंत्री और सूबे के
मुख्यमंत्री को सार्वजनिक रूप से धन्यवाद ज्ञापित किया है और उम्मीद जताई है कि
अमिताभ सरीखे अधिकारियों के खिलाफ सरकार का यह अभियान अनवरत चलता रहेगा.
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