सेवा में,
1- श्री अखिलेश यादव
मुख्यमंत्री एवं पर्यावरण मंत्री
उत्तर प्रदेश शासन,लखनऊ,उत्तर प्रदेश "cmup" <cmup@up.nic.in>, "cmup"
<cmup@nic.in>,
2- मुख्य सचिव
उत्तर प्रदेश शासन,लखनऊ,उत्तर प्रदेश "csup" <csup@up.nic.in>, "csup"
<csup@nic.in>,
3- मंत्रालय/प्रमुख सचिव
4- प्रमुख सचिव/सचिव
नगर विकास विभाग, उत्तर प्रदेश शासन,लखनऊ,उत्तर प्रदेश psecup.urbandev@nic.in , shreeprakash54@hotmail.com,
5- अध्यक्ष
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, लखनऊ,उत्तर प्रदेश chairman@uppcb.com , info@uppcb.com , ms@uppcb.com , ceoadmin@uppcb.com ,
rolucknow@uppcb.com ,
6- निदेशक
10- जिलाधिकारी, लखनऊ dmluc
<dmluc@nic.in>, "dmluc@up.nic.in" <dmluc@up.nic.in>,
Dmawas Lucknow <dmawaslko@gmail.com>,
संज्ञान लेकर आवश्यक कार्यवाही हेतु उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार को कार्यवाही हेतु निर्देश जारी करने की आशा के साथ प्रतिलिपि निम्नलिखित को प्रेषित :
1- महामहिम
मा० श्री राष्ट्रपति , भारत
सरकार , नई
दिल्ली l
presidentofindia@rb.nic.in,
2- महामहिम
मा० श्री उप राष्ट्रपति , भारत
सरकार , नई
दिल्ली l
vpindia@sansad.nic.in
3- माननीय
प्रधान मंत्री ,भारत
सरकार , नई
दिल्ली l pmosb@pmo.nic.in
4- माननीय राज्यपाल, उत्तर प्रदेश, लखनऊ l hgovup
<hgovup@up.nic.in>, hgovup <hgovup@nic.in>, hgovup
<hgovup@gov.in>,
5- माननीय मुख्य न्यायाधीश, उच्चतम न्यायालय,नई दिल्ली l supremecourt
<supremecourt@hub.nic.in>, supremecourt@nic.in,
6- माननीय मुख्य न्यायाधीश, उच्च न्यायालय,इलाहाबाद l
cj <cj@allahabadhighcourt.in>,
विषय : हालिया प्रदूषण के चलते लखनऊ
समेत पूरे उत्तर प्रदेश की जनता के स्वास्थ्य/जीवन के लिए उत्पन्न आपात स्थिति का संज्ञान
लेकर पूरे सूबे की हवा को साफ करने और
लगातार साफ बनाए रखने के लिए 24 घंटे के अन्दर सख्त कदम उठाने की मांग विषयक ।
महोदय/महोदया,
सादर अवगत कराना है कि विगत कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश की राजधानी जहरीली धुंध की चपेट में है और वैज्ञानिकों ने यहाँ के निवासियों को घर से बाहर न निकलने की सलाह दी है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च, सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल, यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की शहर के अलग-अलग इलाकों की जांच में जो नतीजे सामने आए हैं उनके अनुसार बीते रविवार लखनऊ में प्रदूषण का स्तर आठ गुना तक ज्यादा पाया गया है । जहरीली’ हवा के मामले में लखनऊ दिल्ली, फरीदाबाद और आगरा के बाद देश में चौथे पायदान पर आ गया है । राजधानी का एयर क्वालिटी इंडेक्स 444 बताया है जबकि 1 दिन पूर्व शनिवार को यह आंकड़ा 258 ही था। यह मानक 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से सात गुना ज्यादा है। हालांकि सुबह 11 से 12 बजे की बात करें तो निशातगंज में एक्यूआई 519 तो पुराना हाईकोर्ट के पास 472 पाया गया। लखनऊ में पार्टिकुलेट मैटर यानी हानिकारक सूक्ष्मकणों की मौजूदगी खतरनाक स्तर तक पाई गई है । वैज्ञानिकों के मुताबिक यहां 2.5 माइक्रोमीटर तक के सूक्ष्मकणों की मौजूदगी 472 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तक पाई गई जबकि मानक के हिसाब से इसे 60 माइक्रोग्राम से ज्यादा नहीं होना चाहिए। यही नहीं 10 माइक्रोमीटर वाले सूक्ष्मकणों की मौजूदगी 833 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पाई गई जबकि इसे 100 माइक्रोग्राम से ज्यादा नहीं होना चाहिए। लखनऊ में प्रदूषण के जो आंकड़े सामने आए हैं वे इमरजेंसी जैसी हालात बता रहे हैं। |
|
दिल्ली में धुंध से होने वाले नुकसान को ध्यान में रखते हुए लखनऊ के लोगों में इस
अप्रत्याशित धुंध के कारणों की वजह जानने के
लिए बेचैनी है पर
सरकार ने
इस मुद्दे पर कोई भी प्रभावी कदम उठाकर लोगों को
प्रदूषण से
निजात दिलाने का कोई प्रयास नहीं किया है
। दिल्ली में एक्यूआई के 485
पर पहुंचने पर स्कूल बंद करने का फैसला ले लिया गया था
परन्तु सूबे की सरकार और प्रशासन बच्चों के
स्वास्थ्य से
जुड़े इस
गंभीर मुद्दे पर अब
तक सोया पड़ा है
।
इस
धुंध के
लिए खेतों में जलाई जा रही फसल, गाडि़यों का
पॉल्यूशन, जाम में फंसे वाहनों से
निकलता धुंआ, शहर में जगह जगह आवादी के
बीच स्थित कूड़ाघरों में जलाया जा
रहा कूड़ा मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। धुंध वहीं पर अधिक है जहां पर गाडि़यों की संख्या अधिक है जिससे स्पस्ट है
कि गाडि़यों से निकल रहे धुएं के
कारण पॉल्यूशन लेवल काफी अधिक बढ़ रहा है किन्तु लखनऊ में हर साल लगभग सवा लाख से
अधिक वाहन सड़क पर
बढ़ जाने के बाद भी सरकार अब तक
सडकों पर
गाड़ियों की
संख्या को
नियंत्रित करने और अतिक्रमण को हटाकर शहर को जाम से निजात दिलाने के
प्रभावी उपाय नहीं कर
पाई है
। यदि शहर में वाहनों की
संख्या और
जाम की
समस्या इसी प्रकार बढ़ती रही तो
शीघ्र ही
आने वाले समय में लखनऊ में भी लोगों को मॉस्क लगाकर ही
बाहर निकलना पड़ेगा ।
उत्तर प्रदेश की
सरकार ने
कानून बनाकर फसलों का
वेस्ट जलाने से रोकने को प्रतिषिद्ध किया है किन्तु फसल जलाने पर दंड दिए जाने की स्पष्ट व्यवस्था न
होने और
शासन प्रशासन द्वारा प्रभावी मोनिटरिंग न
किये जाने के कारण खेतों में वेस्टेज का
जलाना बदस्तूर जारी है
।
पॉल्यूशन बढ़ जाने के
बाद भी
सरकार ने
न तो
मास्क पहनकर ही बाहर निकलने के
सम्बन्ध में कोई एडवाईजरी जारी की है
और न
ही लखनऊ के लोगों को मास्क उपलब्ध कराने के कोई प्रयास किये है ।
1952
में लंदन में एसओटू के हाई लेवल से पैदा हुए स्मोग के कारण 4 हजार लोगों की मौत हो गई थी पर आज जब लगभग पूरा सूबा ही गंभीर प्रदूषण की चपेट में है, राज्य सरकार प्रदूषण की समस्या का स्थाई हल खोजने में विफल है ।
प्रदूषण से लखनऊ के लोगों की आयु भी घट रही है जिससे लखनऊ के निवासियों के जीवन के संवैधानिक अधिकार का हनन हो रहा है और सरकार लखनऊ के निवासियों के इस संवैधानिक अधिकार का संरक्षण करने में पूर्णतया असफल सिद्ध हो रही है ।
प्रदूषण जानलेवा स्तर तक बढ़ गया है किन्तु सरकार ने प्रदूषण बढाने के सामान्य कारकों जैसे अतिक्रमण हटाकर शहर को जाम से मुक्ति दिलाने, शहर के कूड़ाघरों में कूड़े को जलाया जाना तत्काल प्रतिबंधित करके इन कूड़ाघरों को आबादी से दूर अंतरित करने,कंस्ट्रक्शन/डेमोलेशन को बंद करने,लोगों को वर्क फ्रॉम होम करने ,स्कूल बंद करने ,डीजी सेट्स पर रोक लगाने, शहर में वाहनों का ऑड-इवन सिस्टम लागू करने,कृत्रिम बारिश कराने,राख पैदा करने वाले उपक्रमों पर पाबंदी लगाने,सड़कों पर पानी का छिड़काव करने,लखनऊ शहर में ट्रकों के घुसने पर पाबंदी लगाने के कोई प्रभावी उपाय करने के स्थान पर प्रदूषण के कारणों को जानने की जांच कराने के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही है ।
'उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड' का प्रमुख दायित्व एवं कर्तव्य प्रदूषण निवारण, नियंत्रण
या उसे कम करने के लिए सम्बद्ध विषयों पर जानकारी एकत्र कर
राज्य सरकार को सलाह देने का
है किन्तु सरकार द्वारा लखनऊ के
हालिया प्रदूषण पर राज्य सरकार द्वारा कारणों की
जांच कराये जाने से
स्पष्ट है
कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड राज्य सरकार को समय पर सही सलाह देने में विफल है ।यद्यपि प्रदेश में प्रदूषण की
रोकथाम के
लिए लखनऊ स्थित मुख्यालय के अतिरिक्त 27
क्षेत्रीय कार्यालय हैं किन्तु प्रदेश के 71 जिलों में से मात्र 21 में ही वायु प्रदूषण की
मानिटरिंग की
जा रही है जिसे बढाए जाने की आवश्यकता है । यही नहीं प्रदूषण नियंत्रण
बोर्ड की वेबसाइट के अनुसार दिल्ली से सटे नॉएडा में बीते फरवरी के बाद से प्रदूषण
की जांच नहीं की गयी है । यही नहीं नॉएडा में प्रदूषण की मोनिटरिंग के लिए मैनुअल
सिस्टम है जिसकी बजह से प्रदूषण के आंकड़े आने तक वे अर्थहीन हो जाते हैं । प्रदूषण
जैसे गंभीर मुद्दे पर बजट का बहाना बनाना संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है । मेरी मांग
है कि सूबे के सभी जिलों में पर्याप्त संख्या में प्रदूषण जांच के आटोमेटिक उपकरण तत्काल
लगाए जाएँ ।
महोदय, इस समय लखनऊ समेत प्रदेश की जनता के स्वास्थ्य और जीवन के लिए आपात स्थिति है। आने वाले समय में कोहरा बढ़ने के साथ-साथ यह
समस्या और
बढ़ेगी ।
आपसे अनुरोध है कि
लखनऊ समेत पूरे सूबे की हवा को साफ करने और
लगातार साफ बनाए रखने के लिए 24 घंटे के अन्दर सख्त कदम उठाते
हुए मुझे सूचित करने का कष्ट
करें अन्यथा की स्थिति में मुझे विवश होकर प्रदेश की जनता के जीवन के अधिकार के हनन के चलते
उच्च न्यायालय का
दरबाजा खटखटाना पड़ेगा जिसके हर्जे खर्चे की पूरी जिम्मेवारी आप सबकी होगी ।
दिनांक : 08-11-16
भवदीया
( उर्वशी शर्मा )
समाजसेविका
संरक्षिका – सूचना का अधिकार बचाओ अभियान ट्रस्ट
102,नारायण टावर, ऍफ़ ब्लाक ईदगाह के सामने
102,नारायण टावर, ऍफ़ ब्लाक ईदगाह के सामने
मोबाइल 9369613513
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