Wednesday, July 27, 2016

UP : समाजसेविका उर्वशी ने उठाई नसीमुद्दीन सिद्दीकी समेत बीएसपी नेताओं की पॉस्को एक्ट के तहत गिरफ्तारी की मांग.





लखनऊ/27 जुलाई 2016.........

पूर्व बीजेपी नेता दयाशंकर सिंह और बीएसपी नेताओं के बीच मचे घमासान में राजनैतिक दलों और जातियों के आधार पर बने संगठनों के बाद अब समाजसेवी भी कूद पड़े हैं. आज लखनऊ की प्रतिष्ठित समाजसेविका उर्वशी शर्मा ने सूबे के पुलिस महानिदेशक जावीद अहमद और ए.डी.जी. – कानून व्यवस्था दलजीत चौधरी को पत्र लिखकर महिला के विरुद्ध अपराधों के आरोपी बीएसपी नेताओं नसीमुद्दीन सिद्दीकी आदि के खिलाफ भी गिरफ्तारी की कार्यवाही तत्काल आरम्भ कराने और लखनऊ पुलिस द्वारा दया शंकर सिंह और बीएसपी नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी आदि की गिरफ्तारी के मामले में दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए बीएसपी नेताओं के खिलाफ लिखी एफआईआर की जांच कर रहे पुलिस कार्मिकों के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराकर विधिक कार्यवाही कराने की मांग कर डाली है.




उर्वशी ने बताया कि दयाशंकर सिंह द्वारा बीएसपी प्रमुख मायावती के ख़िलाफ़ अभद्र टिप्पणी करने के लिए बीएसपी नेताओं द्वारा  दयाशंकर सिंह के ख़िलाफ़ लखनऊ के हज़रतगंज में एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज कराये गए मामले में लखनऊ पुलिस ने अदालत से ग़ैरज़मानती वारंट जारी कराया है  और अब  पुलिस द्वारा दयाशंकर के  संभावित ठिकानों पर हाज़िर होने के लिए नोटिस चस्पा किये जाने और न मिलने पर कुर्की की कार्रवाई की जाने की कार्यवाही कराने की तैयारी की जा रही है l दयाशंकर के खिलाफ पुलिस द्वारा की जा रही कार्यवाही को सही करार देते हुए उर्वशी ने बीएसपी नेताओं के ख़िलाफ़ अभी तक न तो पॉस्को एक्ट के तहत कार्रवाई किये जाने और न ही महिलाके विरुद्ध अपराधों की धाराओं में दर्ज एफआईआर के सम्बन्ध में अभी तक किसी भी बीएसपी नेता के खिलाफ गिरफ्तारी की कार्यवाही की शुरुआत ही किये जाने को गलत बताते हुए उर्वशी ने लखनऊ पुलिस पर इन दो मामलों में दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है. बकौल उर्वशी किसी लोकसेवक द्वारा कार्य के दौरान दोहरा मापदंड अपनाने पर उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 166क के तहत एफआईआर दर्ज होना चाहिए.






बीते 21 जुलाई को बीएसपी द्वारा दयाशंकर सिंह के ख़िलाफ़ आयोजित प्रदर्शन में दयाशंकर की मां,  बहन, बेटी के लिए अपशब्दों के सार्वजनिक प्रयोग के मामले में भी बीएसपी के कई नेताओं के ख़िलाफ़ दर्ज एफआईआर का जिक्र करते हुए उर्वशी  ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार के शासनादेश संख्या 4131/छः-पु०-14-10500 ( 289 ) /09 दिनांक 08 जनवरी 2011 एवं शासनादेश संख्या 1057/छः-पु०-3-2011-63पी/10, गृह(पुलिस) अनुभाग-3 दिनांक 27-04-11 की व्यवस्थाओं के अनुसार भी इस सार्वजनिक प्रदर्शन के दौरान हुए कथित जघन्य अपराध के लिए कार्यक्रम के आयोजक ही पूर्णरूपेण उत्तरदायी हैं.






बकौल उर्वशी बीते 21 जुलाई  को हजरतगंज चौराहे के पास बहुजन समाज पार्टी द्वारा आयोजित धरने प्रदर्शन में लखनऊ पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में पूर्व बी.जे.पी. नेता दया शंकर सिंह के परिवार की महिलाओं की शालीनता को भंग करने वाले अपशब्दों का सार्वजनिक रूप से प्रयोग होते रहने और लखनऊ पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारीयों द्वारा दोषियों के विरुद्ध तत्काल निषेधात्मक कार्यवाही करने के अपने दायित्व के निर्वहन के स्थान पर महज तमाशबीन बने तमाशा देखते रहने से इस अपराध में इन अधिकारियों-कर्मचारियों की संलिप्तता स्वतः सिद्ध हो रही है. उर्वशी ने इस प्रदर्शन की पूर्व सूचना होने पर भी लखनऊ के पुलिस और प्रशासन द्वारा इस मामले में सीआरपीसी की धारा 151,107,116 के तहत कार्यवाही नहीं करने  को लखनऊ पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों की अक्षमता और बीएसपी से भगत बताते हुए  इस मामले में भी जांच और कानूनी कार्यवाही की मांग की है.







अपराध के प्रत्येक मामले में समान तत्परता  से कार्यवाही करने को पुलिस-प्रशासन का दायित्व बताते हुए उर्वशी ने बीएसपी नेताओं के ख़िलाफ़ पॉस्को एक्ट के तहत कार्रवाई करने और एफआईआर में नामजद बीएसपी नेताओं  के खिलाफ तत्काल गिरफ्तारी की कार्यवाही की शुरुआत करने और दोहरे मापदंड अपनाने के दोषी  पुलिस कार्मिकों के खिलाफ आईपीसी की धारा 166क के अंतर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने की मांग की है.


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