लखनऊ / रविवार, 07 अगस्त 2022 ……………..
उत्तर प्रदेश के सूचना आयोग की वेबसाइट पर सूचना आयुक्त हर्षवर्धन शाही का बायो-डेटा प्रदर्शित हैं जिसमें शाही के ज्ञान और उपलब्धियों का बखान किया गया है लेकिन शाही के इस बायो-डेटा में लिखी बातों को प्रमाणित करने वाला कोई भी प्रमाण सूचना आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है. चौंकाने वाला यह खुलासा लखनऊ निवासी समाजसेविका और आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा द्वारा बीते 26 जून को सूचना आयोग में दायर की गई आरटीआई पर आयोग के जनसूचना अधिकारी मुमताज़ अहमद द्वारा बीती 07 जुलाई को उर्वशी को दी गई सूचना से हुआ है.
उर्वशी बताती हैं कि उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग की वेबसाइट पर सूचना आयुक्त हर्षवर्धन शाही के प्रोफेशनल जीवन के कार्य अनुभव एवं उल्लेखनीय कार्यों आदि का विवरण प्रदर्शित है जिसकी डाउनलोडेड प्रति संलग्न करते हुए उन्होंने इस विवरण में प्रदर्शित शाही के प्रोफेशनल जीवन के समस्त कार्य अनुभव एवं उल्लेखनीय कार्यों आदि को प्रदर्शित करने के लिए सूचना आयोग के रिकॉर्ड में उपलब्ध जिन प्रमाण पत्रों, नियुक्ति पत्रों, अनुभव प्रमाणों आदि को आधार बनाया गया हो उन सभी प्रमाण पत्रों, नियुक्ति पत्रों, अनुभव प्रमाणों आदि की सत्यापित प्रतियों की मांग की थी.
उर्वशी की इस आरटीआई अर्जी पर आयोग के जनसूचना अधिकारी ने बीती 30 जून को प्रभारी अधिकारी अधिष्ठान से आख्या तलब की. सूचना आयोग के अधिष्ठान अनुभाग के प्रधान सहायक ने बीती 01 जुलाई को आख्या दी कि सूचना आयुक्त हर्षवर्धन शाही के प्रोफेशनल जीवन के समस्त कार्य अनुभव एवं उल्लेखनीय कार्यों आदि का कोई भी प्रमाण सूचना आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है.
उर्वशी का कहना है कि सूचना कानून की धारा 15 की उपधारा 5 के अनुसार अपने क्षेत्र में व्यापक ज्ञान और अनुभव वाले समाज में प्रख्यात व्यक्ति ही सूचना आयुक्त बन सकते हैं जिसके लिए ज्ञान,अनुभव और प्रख्यात होने के अभिलेखीय प्रमाण होने आवश्यक हैं. बकौल उर्वशी सूचना आयोग की सरकारी वेबसाइट पर कोई भी सूचना प्रदर्शित करने से पूर्व उस सूचना को अभिलेखों के आधार पर पुष्ट किया जाना सामान्य नियमों के तहत भी नितांत आवश्यक है अतः वे मुख्य सूचना आयुक्त भवेश कुमार सिंह से मांग कर रही हैं कि वे सूचना आयोग की वेबसाइट से शाही के बायोडेटा को तत्काल हटवाएं और शाही द्वारा अपने बायोडेटा में कही गई बातों के प्रमाण आयोग को उपलब्ध करा देने के बाद ही बायोडेटा को सूचना आयोग की वेबसाइट पर अपलोड करें.
बकौल उर्वशी सूचना कानून की धारा 17 के अनुसार किसी राज्य सूचना आयुक्त को पद से हटाने की शक्ति राज्यपाल और उच्चतम न्यायालय में निहित है इसीलिए वे शाही के बायोडाटा को यूपी के राज्यपाल और उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को भेजकर शाही के बायोडाटा में लिखी बातों की अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर पुष्टि कराने के लिए जांच कराने तथा जांच के परिणाम के आधार पर नियमानुसार कार्यवाही की मांग भी करने जा रही हैं.
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