Tuesday, July 19, 2022

सूचना कानून के किसी भी किस्म के दुरुपयोग की कोई भी जानकारी नहीं : यूपी सूचना आयोग….लखनऊ की समाजसेविका उर्वशी शर्मा की आरटीआई से हुआ खुलासा.

 


लखनऊ / मंगलवार
, 19 जुलाई 2022 ……………………………

आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के मामलों में अब तक आरटीआई का प्रयोग कर चुके करोड़ों लोगों के लिए यह समाचार एक बहुत बड़ी हिम्मत और राहत लेकर आया है क्योंकि अब राज्य सूचना आयोग ने आरटीआई में पूंछे गए सवालों के जवाब में लिखित रूप से कह दिया है कि यूपी में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 लागू होने से अब तक की 16 वर्षों से अधिक की अवधि में इस कानून के किसी भी किस्म के दुरुपयोग की कोई भी जानकारी सूचना आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है.

 

बीते 16 वर्षों में यूपी के मामलों में आरटीआई का प्रयोग कर चुके करोड़ों लोगों का सिर फख्र से ऊंचा करने वाला यह जबरदस्त खुलासा यूपी की राजधानी लखनऊ निवासी समाजसेविका और आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा द्वारा बीती 12 जुलाई को आयोग के कार्यालय में दायर की गई आरटीआई पर सूचना आयोग के नोडल जन सूचना अधिकारी और उपसचिव तेजस्कर पाण्डेय के द्वारा आयोग के प्रशासनिक अधिकारी और जन सूचना अधिकारी मुमताज़ अहमद के इनपुट्स के आधार पर बीती 14 जुलाई को उर्वशी को दी गई सूचना से हुआ है.

 


उर्वशी ने बताया कि सूचना कानून भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाकर लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए लाया गया एकमात्र ऐसा कानून हैं जिसकी लगाम देश के प्रत्येक नागरिक के हाथ में है. बकौल उर्वशी, आम जन के सशक्तीकरण की यही बात ऊंची पायदान पर बैठे सफेदपोशों को हज़म नहीं हुई और सूचना कानून आने के बाद से ही ये सफेदपोश इस कानून के किस्म-किस्म के दुरुपयोग की बात उछाल-उछाल कर आरटीआई कानून को कमजोर करने की साजिश में जुटे रहे . उर्वशी कहती हैं कि हद तो तब हो गई जब सूचना कानून के रक्षक के तौर पर रखे गए सूचना आयुक्तों में से कुछ आयुक्त सफेदपोशों  से पैसा खाकर सार्वजनिक मंचों से सूचना कानून के दुरुपयोग की बातें बिना प्रमाण उछालकर सूचना कानून के भक्षक की भूमिका में सामने आये. उर्वशी बताती हैं कि सूचना कानून के दुरुपयोग की झूंठी बातें उछालने वाले ऐसे लोगों के मुंह पर कालिख पोतने के लिए ही उन्होंने यह आरटीआई अर्जी दाखिल की थी.  

 

 

 

उर्वशी ने सूचना कानून लागू होने से अब तक की अवधि में आरटीआई आवेदकों द्वारा सूचना कानून का दुरुपयोग किये जाने के विषय पर 6 बिन्दुओं की सूचना आयोग के रिकॉर्ड के आधार पर मांगी थी. उर्वशी ने जानना चाहा था कि अन्य लोगों को ब्लैकमेल करने,अन्य लोगों से धन उगाही करने,अन्य लोगों को मानसिक आदि रूप से परेशान करने के लिए आरटीआई कानून का दुरुपयोग करने के मामलों की संख्या उन्हें बताई जाए.सूचना कानून के दुरुपयोग की यदि कोई विशिष्ट जानकारी हो तो उसको जानने के साथ-साथ सूचना कानून के दुरुपयोग पर आयोग द्वारा की गई दंडात्मक कार्यवाही और भविष्य में दुरुपयोग रोकने के लिए आयोग द्वारा की गई कार्यवाहियों की सूचना भी उर्वशी ने मांगी थी.

 

 

तेजस्कर ने लिखकर दिया है कि उर्वशी के आरटीआई आवेदन के बिंदु संख्या 1 से 6 तक की कोई भी सूचना आयोग कार्यालय में धारित नहीं हैं.

 

 

 

उर्वशी कहती हैं कि आरटीआई से सम्बंधित मामलों में सूचना आयोग सर्वोच्च संस्था है और सूचना आयोग द्वारा यह प्रमाणित करना कि यूपी में सूचना कानून लागू होने के बाद से अब तक के सोलह सालों में सूचना कानून को कोई भी दुरुपयोग नहीं हुआ है, उन सभी झूठों के मुंह पर जोरदार तमाचा है जो आरटीआई के दुरुपयोग का झूंठ अपने निजी फायदे के लिए अब तक लगातार परोसते रहे हैं.

 

 

 

उर्वशी ने सूचना कानून के दुरुपयोग की झूंठी बात करने वालों को अपनी और अपने परिवारीजनों की संपत्तियों की विजिलेंस जांच स्वेच्छा से कराने की सार्वजनिक चुनौती दी है और कहा है कि इस आरटीआई जवाब और सूचना आयुक्तों के वक्तव्यों की वीडियो रिकॉर्डिंग्स के आधार पर वे सार्वजनिक मंचों पर आरटीआई को नाहक बदनाम करने वाले यूपी के कुछ सूचना आयुक्तों के खिलाफ जल्द ही कानूनी कार्यवाही शुरू करेंगी.

 

 

 

नोट : सम्बंधित आरटीआई अर्जी और आरटीआई का जवाब वेबलिंक https://upcpri.blogspot.com/2022/07/blog-post.html से निःशुल्क डाउनलोड करके निःशुल्क प्रयोग किया जा सकता है.

 

 



 

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