Friday, April 29, 2022

यूपी : सबालों के घेरे में यूपी सूचना आयुक्त का पीआईओ को प्राथमिक विद्यालय के 250 बच्चों को एक वक्त भोजन कराने का आदेश – आदेश को सनक और कल्पनाओं पर आधारित बता अजय कुमार उप्रेती के खिलाफ आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा ने भेजी शिकायत.

                                                        

 

 

 

लखनऊ/29 अप्रैल 2022 ……………..

 

 

उत्तर प्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती द्वारा गाजीपुर जिले के एक जन सूचना अधिकारी को सूचना देने में देर करने पर जिले के एक प्राथमिक विद्यालय में 250 बच्चों को भोजन कराने की अनूठी सांकेतिक सजा सुनाने का सनसनीखेज आदेश सबालों के घेरे में आ गया है. राजधानी लखनऊ के राजाजीपुरम क्षेत्र निवासी तेजतर्रार और नामचीन आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा ने उप्रेती के आदेश को सूचना कानून की धारा 20 और सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट के आदेशों खिलाफ बताते हुए यूपी के राज्यपाल,मुख्यमंत्री,मुख्य सचिव,प्रशासनिक सुधार महकमे के प्रमुख सचिव और सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त,रजिस्ट्रार , सचिव को शिकायत भेजी है.

 

 

 

बताते चलें कि पिछले दिनों अजय कुमार उप्रेती ने  आरटीआई आवेदक भूपेन्द्र कुमार पाण्डेय द्वारा सूचना के अधिकार कानून के तहत दाखिल अर्जी पर सुनवाई करते हुए गाजीपुर के नूनरा गांव के विकास अधिकारी और जन सूचना अधिकारी चंद्रिका प्रसाद को गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले 250 बच्चों को मध्याह्न एक वक्त भोजन कराने और उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग करके आयोग को भेजने का सनसनीखेज आदेश किया था जो  अब भी मीडिया की सुर्ख़ियों में छाया हुआ है.

 

उर्वशी ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20,माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यूनियन ऑफ़ इंडिया बनाम धर्मेन्द्र टेक्सटाइल प्रोसेसर्स मामले में दी गई विधि-व्यवस्था, माननीय हिमाचल उच्च न्यायालय द्वारा संजय हिंदवान बनाम राज्य सूचना आयोग में एक्ट की धारा 20 के सम्बन्ध में दी गई विधि व्यवस्था तथा  माननीय पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा श्रीमती चंदर कांता बनाम राज्य सूचना आयोग में एक्ट की धारा 20 के सम्बन्ध में पुनः पुष्ट की गई विधि-व्यवस्था के हवाले से  सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती के आदेश को पूर्णतया मनमाना, और गैरकानूनी बताया है.

 

 

 

बकौल उर्वशी सूचना कानून की धारा 20 से स्पष्ट है कि कोई भी सूचना आयुक्त अपनी सनक और कल्पनाओं (whims and fancies) के आधार पर धारा 20 के तहत दंड अधिरोपित नहीं कर सकता है.उर्वशी का कहना है कि  दंड अधिरोपण एक्ट की धारा 20 के अनुसार सूचना देने में हुई देरी के दिनों के लिए 250 रुपये प्रतिदिन की दर से न तो अधिक हो सकता है और न ही कम हो सकता है . उर्वशी ने बताया कि अधिनियम में सांकेतिक या टोकन पेनल्टी का कोई भी प्राविधान नहीं है,यदि सूचना आयुक्त जन सूचना अधिकारी पर दंड लगाने का निर्णय ले लेते हैं तो फिर वह सूचना आयुक्त एक्ट की धारा 20 के प्राविधानों को मानने के लिए बाध्य हैं और इन प्राविधानों से इतर नहीं जा सकते हैं .

 

उर्वशी ने अपनी शिकायत में लिखा है “अजय कुमार ने आयोग की गरिमा को अपमानित करने का कदाचरण और अनुशासनहीनता का कृत्य भी किया गया है.यदि सूचना आयुक्तों के इस प्रकार के कृत्यों को रोकने के लिए तत्काल ही कार्यवाही नहीं की गई तो इससे सूचना आयुक्तों की निरंकुशता की एक गलत परम्परा चलन में आ जायेगी.”

 

 

अजय कुमार उप्रेती द्वारा आरटीआई एक्ट 2005 की धारा 20 के विहित विधिक प्राविधानों के खिलाफ जाकर सनसनीखेज आदेश पारित करने को उप्रेती द्वारा सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए सूचना आयुक्त के पद का दुरुपयोग करने की बात कहते हुए उर्वशी ने जांच कराकर उप्रेती के खिलाफ अग्रेत्तर यथेष्ट कार्यवाही कराने की मांग की है.

 

 

 

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