Thursday, September 28, 2017

यूपी : SCIC जावेद उस्मानी की पत्नी 100 उ0प्र0 हैण्डीक्राफ्ट्स की प्रमुख फराह उस्मानी की प्रदर्शनी को हाँ पर RTI एक्ट वर्षगांठ पर येश्वर्याज के जनजागरूकता कैंप को राज्य सूचना आयोग की ‘ना’ से एक्टिविस्टों के निशाने पर सूचना आयोग l



लखनऊ / 28 सितम्बर 2017..........

पारदर्शिता विरोधी रवैये के कारण प्रायः ही आरटीआई संगठनों और कार्यकर्ताओं के निशाने पर रहने वाले यूपी के राज्य सूचना आयोग के एक नए कारनामे ने उसके पारदर्शिता विरोधी रवैये पर मुहर लगा दी है l यूपी के राज्य सूचना आयोग ने अपने दरबाजे आम जनता के लिए खोलने से एक बार फिर इनकार कर दिया है l लखनऊ स्थित सामाजिक संगठन ‘येश्वर्याज’ की संस्थापिका समाजसेविका उर्वशी शर्मा ने बीते 22 सितम्बर को राज्य मुख्य सूचना आयुक्त, आयोग के रजिस्ट्रार और सचिव को पत्र भेजकर  आने वाले 12 अक्टूबर को आरटीआई एक्ट की 12वीं सालगिरह के दिन सूचना आयोग परिसर में आम जनता के लिए जनजागरूकता कैंप लगाकर ‘आरटीआई डे 2017’ मनाने के लिए स्थान की मांग की थी  l आयोग के सचिव उदय वीर सिंह यादव ने बीते 26 सितम्बर को एक पत्र जारी कर उर्वशी को सूचित किया है कि उनके द्वारा प्रेषित प्रार्थनापत्र में उल्लेखानुसार आयोग परिसर में स्थान उपलब्ध कराना संभव नहीं है l

समाजसेविका उर्वशी ने आयोग के इस जनविरोधी कदम की भर्त्सना करते हुए मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी पर आयोग परिसर को अपने परिवार की निजी जागीर की तरह इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है l उर्वशी बताती हैं कि कुछ दिन पूर्व ही जावेद उस्मानी ने अपनी पत्नी 100 0प्र0 हैण्डीक्राफ्ट्स की प्रमुख फराह उस्मानी की संस्था की एक फोटो प्रदर्शनी का आयोग परिसर में न केवल उद्घाटन कराया बल्कि वह फोटो प्रदर्शनी आज भी आयोग की दीवारों पर लगी हुई है और अब जब उनकी संस्था ने सूचना के अधिकार अधिनियम का आम जनता के बीच प्रचार प्रसार करने की नीयत से आयोग में कैंप लगाने की जगह माँगी है तो आम जनता के लिए आयोग के दरबाजे बन्द कर दिए हैं l   

उर्वशी कहती हैं कि देश में सूचना का अधिकार कानून साल 2005 में लागू हुआ लेकिन जावेद उस्मानी जैसे स्व-केन्द्रित नौकरशाहों को आयोग के सर्वोच्च पद पर बैठाने का नुक्सान यह हो रहा है कि अब यह कानून को अपने मकसद को पाने में कामयाब नहीं हो पा रहा है l आरटीआई से मिली जानकारी के आधार पर उर्वशी बताते हैं कि आयोग की ही तरह  केंद्र सरकार ने यूपी के जनसूचना अधिकारियों और प्र​थम अपीलीय अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए बीते साल में 45 लाख रुपए आवंटित किए थे जिसमें से 38 लाख 30 हज़ार 8 सौ 23 रुपए खर्च हुए जबकि आम नागरिकों के प्रशिक्षण के लिए एक धेला भी नहीं दिया गया और अब आयोग को अपने परिवारीजनों के लिए इस्तेमाल करने वाले जावेद उस्मानी ने आम जनता को आयोग  परिसर में जगह देने से इनकार कर दिया है l

जावेद उस्मानी की इस दोहरी नीति की शिकायत राज्यपाल से करने की बात भी उर्वशी ने कही है l


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