Sunday, December 27, 2015

UP RTI activist Urvashi Sharma wants IAS Sunil Kumar,Sadakant others be booked for fraud & forgery



सेवा में,                                                                          स्पीड पोस्ट के माध्यम से प्रेषित                                                                                                                                                                                       
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक
जनपद लखनऊ , उत्तर प्रदेश – 226001

विषय : उत्तर प्रदेश समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव सुनील कुमार (आई० ए० एस०), प्रमुख सचिव आवास सदाकांत, विशेष सचिव केदार नाथ, उप सचिव राज कुमार त्रिवेदी एवं उत्तर प्रदेश सचिवालय के अन्य कार्मिकों द्वारा पद का दुरुपयोग कर सरकार से छल करने के प्रयोजन से तथ्यों को छुपाकर और कूटरचना कर मिथ्या दस्तावेज बनाकर जारी करके  सरकार को आर्थिक क्षति कारित करने के सिद्ध अपराध की प्रथम सूचना रिपोर्ट सुसंगत धाराओं में दर्ज कराकर विधिक कार्यवाही कराने के लिए सीआरपीसी की धारा 154(3) के अंतर्गत प्रार्थना पत्र का प्रेषण 
महोदय,
अवगत कराना है कि मैंने विपक्षीगण उपरोक्त द्वारा भ्रष्टाचार में लिप्त होकर व्यक्तिगत अभिलाभ प्राप्त करने के लिए अपने पदीय अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए यूपी सरकार के साथ छल करने और माननीय उच्च न्यायालय, उच्चतम न्यायालय समेत अनेकों कानूनी व प्रशासनिक तथ्यों को छुपाकर कूटरचना द्वारा मिथ्या दस्तावेज बनाकर जारी करने का अपराध करके सरकार को आर्थिक क्षति कारित करने की प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए एक प्रार्थना पत्र दिनांक 23-08-15 को थाना हजरतगंज के प्रभारी को भेजा था जिसके साथ कूटरचित दस्तावेज उत्तर प्रदेश समाज कल्याण अनुभाग-1 के कार्यालय ज्ञाप संख्या 3783/26-1-2014-119(70)/02  लखनऊ दिनांक 04 दिसम्बर 2014 की छायाप्रति संलग्नक 1 संलग्न की थी  l

इस कूटरचित दस्तावेज के माध्यम से विभाग की संस्था राजकीय गोविन्द बल्लभ पन्त पॉलिटेक्निक मोहान रोड लखनऊ के कार्मिक पवन कुमार मिश्रा का उच्च न्यायालय लखनऊ खंडपीठ की याचिका संख्या 110/एसबी/2004 के आदेश दिनांक 24-02-06 जिसकी  2 पेज की छायाप्रति संलग्नक 2, सर्वोच्च न्यायालय की याचिका संख्या SLP(C ) No. 7096/2008 के आदेश दिनांक 01-02-2008 जिसकी छायाप्रति संलग्नक 3, उच्च न्यायालय लखनऊ खंडपीठ की याचिका संख्या 1735/एसबी/2010 के आदेश दिनांक 24-11-10  जिसकी छायाप्रति संलग्नक 4,विभाग की सेवा नियमावली जिसके 2 पेज की छायाप्रति संलग्नक 5 और विनियमितीकरण नियमावली जिसके 2 पेज की छायाप्रति संलग्नक 6 के रूप में मैंने संलग्न की थी , के उपबन्धों के प्रतिकूल जाकर द्वितीय श्रेणी के राजपत्रित पद पर विनियमितीकरण करके विपक्षीगणों द्वारा राज्य सरकार को आर्थिक क्षति कारित की गयी थी  l यह अपराध न्यायालयों के उपरोक्त तीनों आदेशों द्वारा दिए गए इस कानूनी आदेश के बाद किया गया था कि तदर्थ रूप से नियुक्त न होने के कारण पवन कुमार मिश्रा का विनियमितीकरण किया ही नहीं जा सकता था  l मिथ्या दस्तावेज बनाकर जारी करने के इस अपराध को कारित करने में इस प्रशासनिक तथ्य को भी छुपाया गया था कि पवन कुमार मिश्रा कर्मशाला अधीक्षक पद के लिए विभाग की सेवा नियमावली में विहित आवश्यक अर्हता 3 वर्ष का अनुभव धारित ही नहीं करता था  और उ० प्र० ( लोक सेवा आयोग के क्षेत्रान्तर्गत पदों पर ) तदर्थ नियुक्तियों का विनियमितीकरण नियमावली 1979 एवं संशोधित नियमावली 2001 के नियम 4(1)(दो) के अनुसार 3 वर्ष का अनुभव धारित न करने के कारण पवन कुमार मिश्रा को इस पद पर विनियमित किया ही नहीं जा सकता था  l इस प्रकार विपक्षीगणों ने न्यायालय के आदेश को अपने आदेश को पलटने का अपराध भी कारित किया था  l पवन कुमार मिश्रा लखनऊ की अवध इंडस्ट्रीज का मात्र 2 वर्ष 7 माह 22 दिन का अनुभव ही धारित करता था जो 3 वर्ष से कम था  l

यही नहीं विपक्षीगण उपरोक्त द्वारा इस जघन्य अपराध को कारित करने में उच्च न्यायालय लखनऊ खंडपीठ की याचिका संख्या 400/एसबी/2013 के आदेश दिनांक 02-04-13 के अनुपालन में उत्तर प्रदेश समाज कल्याण अनुभाग-1 द्वारा जारी कार्यालय ज्ञाप संख्या 1280/26-1-2013-119(72)/2006 लखनऊ दिनांक 02 जुलाई 2013 जिसकी  3 पेज की छायाप्रति संलग्नक 7 संलग्न थी, के तथ्यों को भी छुपाया गया था  इस आदेश द्वारा समाज कल्याण के तत्कालीन प्रमुख सचिव संजीव दुबे ने आदेश जारी कर कहा था कि पवन कुमार मिश्रा के विनियमितीकरण पर विचार किया जाना संभव नहीं था और पवन द्वारा विनियमितीकरण के सम्बन्ध में दिया गया प्रत्यावेदन निरस्त कर दिया था l

मैंने हजरतगंज थाने के प्रभारी से अनुरोध किया था कि उच्चतम न्यायालय द्वारा ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार { W.P.(Crl) No;68/2008 } के सम्बन्ध में पारित आदेश के अनुपालन में CrPC की धारा 154 में विहित व्यवस्थानुसार वे उत्तर प्रदेश समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव सुनील कुमार (आई० ए० एस०), उप सचिव राज कुमार त्रिवेदी एवं उत्तर प्रदेश सचिवालय के अन्य कार्मिकों द्वारा पद का दुरुपयोग कर सरकार से छल करने के प्रयोजन से तथ्यों को छुपाकर और कूटरचना कर मिथ्या दस्तावेज बनाकर जारी करके  सरकार को आर्थिक क्षति कारित करने के इस संज्ञेय अपराध की प्रथम सूचना रिपोर्ट सुसंगत धाराओं में दर्ज कर विपक्षियों के विरुद्ध विधिक कार्यवाही करें l थाना हजरतगंज के प्रभारी को स्पीड पोस्ट संख्या EU353575058IN दिनांक 24-08-15 के माध्यम से प्रेषित प्रार्थना पत्र के 15 पेज की छायाप्रति संलग्न है l

गौरतलब है कि मेरे द्वारा शिकायत करने के बाद प्रमुख सचिव सुनील कुमार ने अपना अपराध स्वीकार भी कर लिया है जिसके प्रमाण स्वरुप मैं उत्तर प्रदेश समाज कल्याण अनुभाग – 1 के कार्यालय ज्ञाप संख्या 3219/26-1-2015-स0क0-1 लखनऊ दिनांक 24 अक्टूबर 2015 की 2 पेज की छायाप्रति भी संलग्न कर रही हूँ l

क्योंकि हजरतगंज थाने के प्रभारी ने उच्चतम न्यायालय द्वारा ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार { W.P.(Crl) No;68/2008 } के सम्बन्ध में पारित आदेश के अनुपालन में CrPC की धारा 154 में विहित व्यवस्थानुसार संज्ञेय अपराध के इस मामले में कार्यवाही नहीं की है अतः आपसे अनुरोध है कि उत्तर प्रदेश समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव सुनील कुमार (आई० ए० एस०), प्रमुख सचिव आवास सदाकांत, विशेष सचिव केदार नाथ, उप सचिव राज कुमार त्रिवेदी एवं उत्तर प्रदेश सचिवालय के अन्य कार्मिकों द्वारा पद का दुरुपयोग कर सरकार से छल करने के प्रयोजन से तथ्यों को छुपाकर और कूटरचना कर मिथ्या दस्तावेज बनाकर जारी करके  सरकार को आर्थिक क्षति कारित करने के सिद्ध अपराध की प्रथम सूचना रिपोर्ट सुसंगत धाराओं में दर्ज कराकर विधिक कार्यवाही कराएं और इसकी सूचना मुझे भी दें lसाथ ही साथ कानून का अनुपालन न करने के लिए हजरतगंज के थानाध्यक्ष को भी दण्डित करें l

संलग्नक : उपरोक्तानुसार संलग्नकों के 17 पेजों की छायाप्रतियां l
दिनांक : 27-12-15

प्रतिलिपि : महामहिम श्री राज्यपाल,उत्तर प्रदेश को आवश्यक कार्यवाही हेतु संलग्नकों सहित प्रेषित l

भवदीया

उर्वशी शर्मा )
102,नारायण टावर, ऍफ़ ब्लाक ईदगाह के सामने
राजाजीपुरम, लखनऊ,उत्तर प्रदेश,भारत, पिन कोड - 226017    
मोबाइल :9369613513 ई-मेल rtimahilamanchup@gmail.com




















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