समाजसेविका उर्वशी शर्मा ने उठायी प्रमुख सचिव सुनील कुमार, उप सचिव राज कुमार त्रिवेदी
समेत अन्य सचिवालय कर्मियों के खिलाफ जालसाजी और धोखाधड़ी की एफआईआर की मांग
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लखनऊ/24 अगस्त 2015// लखनऊ निवासी
समाजसेविका और आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा ने आज यूपी के प्रमुख सचिव समाज
कल्याण सुनील कुमार (आईएएस), उप सचिव राज कुमार त्रिवेदी और
सचिवालय के अन्य कार्मिकों के खिलाफ जालसाजी और छल करके राजपत्रित पद पर फर्जी प्रमाणपत्रों
के आधार पर नियुक्ति करने का गंभीर आरोप लगाते
हुए मामले की प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR ) दर्ज कर विधिक कार्यवाही
करने के लिए एक प्रार्थना पत्र थाना हजरतगंज में दिया है l
उपस्थित मीडिया को संबोधित करते हुए उर्वशी ने कहा कि यूपी में हालात बद से
बदतर होते जा रहे हैं l अखिलेश यादव की अगुआई में चल रही सपा सरकार की नौकरशाही पर
निरंकुश होकर भ्रष्टाचार और कदाचार करने
का आरोप लगाते हुए उर्वशी ने कहा कि अब इन अधिकारियों के मन से कानून का डर पूरी
तरह से ख़त्म हो आया है और अब तो आलम यह है कि जनता के पैसों से
मोटी मोटी तनख्वाह और सुविधाएं लेने बाले यहाँ के प्रमुख सचिव स्तर के आईएएस भी पैसे
और अपने अन्य व्यक्तिगत हितों की पूर्ति के लिए अपने जमीर
का और देश के सर्वोच्च माने जाने बाले आईएएस पद की गरिमा तक का सौदा तक करने मैं कतई भी हिचक नहीं रहे है l
देश की जानी मानी आरटीआई एक्टिविस्टों में शुमार उर्वशी ने बताया कि उनके
द्वारा दायर अनेकों आरटीआई से जो प्रपत्र उनके हाथ लगे हैं उनसे एक ऐसा ही मामला
सामने आया है जिसमें वर्तमान प्रमुख सचिव समाज कल्याण सुनील कुमार ( आईएएस ), उप सचिव राज कुमार त्रिवेदी और उत्तर
प्रदेश सचिवालय के अन्य कार्मिकों द्वारा पद का दुरुपयोग कर सरकार से छल करने के
प्रयोजन से न्यायालयों के आदेशों और शासनादेशों को छुपाकर और कूटरचना कर मिथ्या
दस्तावेज बनाकर जारी करके सरकार को आर्थिक क्षति कारित करने का अपराध दस्तावेजों
के आधार पर स्वतः ही सिद्ध हो रहा है l आरटीआई से प्राप्त अभिलेखों से स्पष्ट हो
रहा है कि सचिवालय के इन वरिष्ठ कार्मिकों ने अपने क्षुद्र
लाभों के लिए जालसाजी और छल करके द्वितीय श्रेणी के राजपत्रित पद तक पर फर्जी प्रमाण
पत्रों के आधार पर नियुक्ति कर डाली है l उर्वशी ने बताया कि उन्होंने व्यापक
लोकहित में इन प्रपत्रों से सिद्ध हो रहे अपराध की प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराकर
दोषियों को दण्डित कराने के लिए यह तहरीर थाने में दी है l
थाना हजरतगंज के थाना प्रभारी को लिखे पत्र में उर्वशी ने लिखा “अवगत कराना है कि विपक्षीगण उपरोक्त ने भ्रष्टाचार में लिप्त
होकर व्यक्तिगत अभिलाभ प्राप्त करने के लिए अपने पदीय अधिकारों का दुरुपयोग करते
हुए यूपी सरकार के साथ छल किया है और माननीय उच्च न्यायालय, उच्चतम न्यायालय समेत
अनेकों कानूनी व प्रशासनिक तथ्यों को छुपाकर कूटरचना द्वारा मिथ्या दस्तावेज बनाकर
जारी करने का अपराध करके सरकार को आर्थिक क्षति कारित की है l यह कूटरचित दस्तावेज
उत्तर प्रदेश समाज कल्याण अनुभाग-1 का कार्यालय ज्ञाप संख्या 3783/26-1-2014-119(70)/02 लखनऊ दिनांक 04 दिसम्बर 2014 है lइस कूटरचित
दस्तावेज के माध्यम से विभाग की संस्था राजकीय गोविन्द बल्लभ पन्त पॉलिटेक्निक
मोहान रोड लखनऊ के कार्मिक पवन कुमार मिश्रा को उच्च न्यायालय लखनऊ खंडपीठ की
याचिका संख्या 110/एसबी/2004 के आदेश दिनांक 24-02-06, सर्वोच्च
न्यायालय की याचिका संख्या SLP(C ) No. 7096/2008 के आदेश दिनांक 01-02-2008, उच्च न्यायालय लखनऊ खंडपीठ की याचिका संख्या 1735/एसबी/2010 के आदेश दिनांक 24-11-10,विभाग की सेवा नियमावली और
विनियमितीकरण नियमावली के आदेशों और उपबन्धों के प्रतिकूल
जाकर द्वितीय श्रेणी के राजपत्रित पद पर विनियमितीकरण का लाभ प्रदान करके विपक्षीगणों
द्वारा राज्य सरकार को आर्थिक क्षति कारित की गयी है l यह अपराध न्यायालयों के
उपरोक्त तीनों आदेशों द्वारा दिए गए इस कानूनी आदेश के बाद किया गया है कि तदर्थ
रूप से नियुक्त न होने के कारण पवन कुमार मिश्रा का विनियमितीकरण किया ही नहीं जा
सकता है l मिथ्या दस्तावेज बनाकर जारी करने के इस अपराध को कारित करने में इस प्रशासनिक
तथ्य को भी छुपाया गया है कि पवन कुमार मिश्रा कर्मशाला अधीक्षक पद के लिए विभाग
की सेवा नियमावली में विहित आवश्यक अर्हता 3 वर्ष का अनुभव धारित ही नहीं करता है और
उ० प्र० ( लोक सेवा आयोग के क्षेत्रान्तर्गत पदों पर ) तदर्थ नियुक्तियों का
विनियमितीकरण नियमावली 1979 एवं संशोधित नियमावली 2001 के नियम 4(1)(दो) के अनुसार
3 वर्ष का अनुभव धारित न करने के कारण पवन कुमार मिश्रा को इस पद पर विनियमित किया
ही नहीं जा सकता है l इस प्रकार विपक्षीगणों ने न्यायालय के आदेश को अपने आदेश को
पलटने का अपराध भी कारित किया है l गौरतलब है कि पवन कुमार मिश्रा लखनऊ की अवध
इंडस्ट्रीज का मात्र 2 वर्ष 7 माह 22 दिन का अनुभव ही धारित करता है जो पद के लिए
आवश्यक अनुभव 3 वर्ष से कम है lयही नहीं विपक्षीगण उपरोक्त द्वारा इस जघन्य अपराध
को कारित करने में उच्च न्यायालय लखनऊ खंडपीठ की याचिका संख्या 400/एसबी/2013 के
आदेश दिनांक 02-04-13 के अनुपालन में उत्तर प्रदेश समाज कल्याण अनुभाग-1 द्वारा
जारी कार्यालय ज्ञाप संख्या 1280/26-1-2013-119(72)/2006 लखनऊ दिनांक 02 जुलाई 2013
के तथ्यों को भी छुपाया गया हैl”
समाजसेविका उर्वशी ने इस मामले में समाज कल्याण के पूर्व प्रमुख सचिव संजीव
दुबे (आईएएस) को नियमानुसार कार्य करने
बाला बताते हुए उनकी तारीफ भी की है l
उर्वशी ने हजरतगंज थाना प्रभारी से मांग की है कि वे उच्चतम न्यायालय द्वारा
ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार { W.P.(Crl) No;68/2008 } के सम्बन्ध में पारित आदेश के अनुपालन में CrPC की धारा 154 में विहित व्यवस्थानुसार उत्तर प्रदेश समाज कल्याण विभाग के
प्रमुख सचिव सुनील कुमार (आई० ए० एस०), उप सचिव राज कुमार
त्रिवेदी एवं उत्तर प्रदेश सचिवालय के अन्य कार्मिकों द्वारा पद का दुरुपयोग कर
सरकार से छल करने के प्रयोजन से तथ्यों को छुपाकर और कूटरचना कर मिथ्या दस्तावेज
बनाकर जारी करके सरकार को आर्थिक क्षति
कारित करने के इस संज्ञेय अपराध की प्रथम सूचना रिपोर्ट सुसंगत धाराओं में दर्ज कर
विपक्षियों के विरुद्ध विधिक कार्यवाही करें l
उर्वशी ने अपनी तहरीर के अभिकथन के समर्थन में 12 प्रमाण भी संलग्न करके थाना
प्रभारी को दिए हैं l उर्वशी ने कहा कि वे इस मामले में भ्रष्टों को बेनकाब कर जेल
पंहुचा कर ही दम लेंगी l
उर्वशी की तहरीर के 12 संलग्नक ब्लॉग पर उपलब्ध हैं जिसका वेबलिंक http://upcpri.blogspot.in/2015/08/l_23.html है l
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