लखनऊ l दिनांक 30 अगस्त
2015....उत्तर प्रदेश के समाजसेवियों ने जालसाजी और धोखाधड़ी द्वारा शासनादेशों और
उच्चतम न्यायालय के आदेशों को ताक पर रखकर
राजपत्रित पद पर फर्जी विनियमितीकरण करने के मामले में उत्तर प्रदेश के प्रमुख
सचिव समाज कल्याण सुनील कुमार तथा उप सचिव राज कुमार त्रिवेदी को तत्काल निलंबित
कर प्रकरण की सीबी-सीआईडी जांच कराकर दोषियों को दण्डित कराने की मांग करते हुए आज
लखनऊ के लक्ष्मण मेला मैदान स्थित धरना स्थल पर हुंकार भरी l
धरने का आयोजन येश्वर्याज सेवा
संस्थान ने किया था l धरने में तनवीर अहमद सिद्दीकी, ज्ञानेश पाण्डेय,हरपाल
सिंह,राम स्वरुप यादव,होमेंद्र पाण्डेय समेत अनेकों सामाजिक कार्यकर्ताओं ने
हिस्सा लिया l
येश्वर्याज की सचिव उर्वशी शर्मा ने
बताया कि उत्तर प्रदेश समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव सुनील कुमार (आई० ए० एस०)
और उप सचिव राज कुमार त्रिवेदी ने उत्तर प्रदेश सचिवालय
के अन्य कार्मिकों के साथ दुरभि संधि स्थापित कर सरकार से ही छल कर डाला और तथ्यों को छुपाकर कूटरचना करके मिथ्या दस्तावेज बनाकर जारी किये और सरकार को
आर्थिक क्षति कारित करने का अपराध किया l बकौल उर्वशी इन सभी ने भ्रष्टाचार में लिप्त होकर अनेकों
प्रकार के व्यक्तिगत अभिलाभ प्राप्त करने के लिए अपने पदीय अधिकारों का दुरुपयोग
करते हुए माननीय उच्च न्यायालय, उच्चतम न्यायालय के आदेशों
समेत अनेकों कानूनी व प्रशासनिक तथ्यों को छुपाकर कूटरचना द्वारा एक मिथ्या
दस्तावेज उत्तर प्रदेश समाज कल्याण अनुभाग-1 का कार्यालय ज्ञाप संख्या
3783/26-1-2014-119(70)/02 लखनऊ दिनांक 04
दिसम्बर 2014 जारी किया गया lउर्वशी ने आरोप लगाया कि इस
कूटरचित दस्तावेज के माध्यम से विभाग की संस्था राजकीय गोविन्द बल्लभ पन्त
पॉलिटेक्निक मोहान रोड लखनऊ के कार्मिक पवन कुमार मिश्रा को उच्च न्यायालय लखनऊ
खंडपीठ की याचिका संख्या 110/एसबी/2004 के आदेश दिनांक 24-02-06, सर्वोच्च न्यायालय की याचिका संख्या SLP(C ) No. 7096/2008 के आदेश दिनांक
01-02-2008 , उच्च न्यायालय लखनऊ खंडपीठ की
याचिका संख्या 1735/एसबी/2010 के आदेश दिनांक 24-11-10,विभाग की सेवा नियमावली और विनियमितीकरण नियमावली के
उपबन्धों के प्रतिकूल जाकर द्वितीय श्रेणी के राजपत्रित पद पर विनियमितीकरण करके
विपक्षीगणों द्वारा राज्य सरकार को आर्थिक क्षति कारित की गयी है l यह अपराध न्यायालयों के उपरोक्त तीनों आदेशों द्वारा दिए गए
इस कानूनी आदेश के बाद किया गया है कि तदर्थ रूप से नियुक्त न होने के कारण पवन
कुमार मिश्रा का विनियमितीकरण किया ही नहीं जा सकता है l मिथ्या दस्तावेज बनाकर जारी करने के इस अपराध को कारित करने
में इस प्रशासनिक तथ्य को भी छुपाया गया है कि पवन कुमार मिश्रा कर्मशाला अधीक्षक
पद के लिए विभाग की सेवा नियमावली में विहित आवश्यक अर्हता 3 वर्ष का अनुभव धारित
ही नहीं करता है और उ० प्र० ( लोक सेवा आयोग के क्षेत्रान्तर्गत पदों पर ) तदर्थ
नियुक्तियों का विनियमितीकरण नियमावली 1979 एवं संशोधित नियमावली 2001 के नियम
4(1)(दो) के अनुसार 3 वर्ष का अनुभव धारित न करने के कारण पवन कुमार मिश्रा को इस
पद पर विनियमित किया ही नहीं जा सकता है l इस प्रकार विपक्षीगणों ने न्यायालय के आदेश को अपने प्रशासनिक आदेश से पलटने
का अपराध भी कारित किया है l पवन कुमार मिश्रा लखनऊ की
अवध इंडस्ट्रीज का मात्र 2 वर्ष 7 माह 22 दिन का अनुभव ही धारित करता है जो 3 वर्ष
से कम है l
उर्वशी का कहना है कि केवल इतना ही नहीं,
इन लोगों ने इस जघन्य अपराध को कारित करने
में उच्च न्यायालय लखनऊ खंडपीठ की याचिका संख्या 400/एसबी/2013 के आदेश दिनांक
02-04-13 के अनुपालन में उत्तर प्रदेश समाज कल्याण अनुभाग-1 द्वारा जारी कार्यालय
ज्ञाप संख्या 1280/26-1-2013-119(72)/2006 लखनऊ दिनांक 02 जुलाई 2013 के तथ्यों को
भी छुपाया गया हैl इस आदेश द्वारा समाज कल्याण
के तत्कालीन प्रमुख सचिव संजीव दुबे ने आदेश जारी कर कहा था कि पवन कुमार मिश्रा
के विनियमितीकरण पर विचार किया जाना संभव नहीं था और पवन द्वारा विनियमितीकरण के
सम्बन्ध में दिया गया प्रत्यावेदन निरस्त कर दिया था l
उर्वशी ने बताया कि आज के धरने के
बाद उपस्थित समाजसेवी मुख्यमंत्री आवास जाकर उनको अपनी मांगों से सम्बंधित ज्ञापन
सौपेंगे और अगर सरकार ने प्रमुख सचिव और उप सचिव स्तर के अधिकारियों द्वारा
भष्टाचार के लिए जालसाजी करने के इस मामले में त्वरित कार्यवाही कर दोषियों को
दण्डित नहीं किया तो वे शीघ्र ही इस मामले को लोकायुक्त के समक्ष पेश करेंगीं l
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